न दवा न साइड इफेक्ट गठिया, लकवा और कमर दर्द जैसी समस्याओं में बेहद कारगर है फिजियोथेरेपी: डॉ जितेंद्र त्रिपाठी
नौतनवा/महराजगंज
शरीर की कई असामान्य स्थितियों के इलाज के रूप में पिछले दो दशकों में फिजियोथेरेपी की मांग तेजी से बढ़ी है। अमेरिकन फिजिकल थेरेपी एसोसिएशन (एपीटीए) के अनुसार शरीर की गतिशीलता और कार्यों में सुधार करने के साथ शरीर में कई तरह के गंभीर दर्द और उम्र आधारित चिकित्सकीय स्थितियों को ठीक करने में फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
प्रशिक्षित पेशेवर इस उपचार विधि से चोट, विकलांगता और अन्य स्थितियों को ठीक करने में मदद करते हैं। सर्जरी के बाद तेजी से रिकवरी और शरीर को दोबारा से क्रियाशील बनाने में भी फिजियोथेरेपी बहुत ही फायदेमंद उपचार पद्धति मानी जाती है। सरल भाषा में समझें तो फिजियोथेरेपी मेडिकल साइंस की ऐसी प्रणाली है जिसकी सहायता से कई जटिल रोगों का इलाज संभव है।
फिजियोथेरेपी, आमतौर पर व्यायाम और स्ट्रेचिंग अभ्यास का संयोजन है जिसके माध्यम से शरीर की गतिशीलता में सुधार करने में मदद मिलती है। यह शरीर के समन्वय को बेहतर बनाने के साथ असामान्य दर्द और शरीर की कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में काफी सहायक चिकित्सा विधि मानी जाती रही है।
फिजियोथेरेपी की जरूरत और खासियत
पत्रकारों से बातचीत में नौतनवा में फिजियोथेरेपिस्ट डा० जितेंद्र त्रिपाठी बताते हैं, पिछले कुछ वर्षों में इस उपचार विधि की मांग में काफी इजाफा देखा गया है। भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां रोजाना सड़क दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग चोटिल होते हैं। ऐसे रोगियों की शारीरिक स्थिति को दोबारा से बेहतर बनाने या फिर ऑपरेशन के बाद रोगियों को दोबारा चलने, रोजाना के कार्यों को आसानी से करने में फिजियोथेरेपी अहम भूमिका निभा रही है।
फिजियोथेरेपी में मुख्यरूप से व्यायाम और स्ट्रेचिंग को प्रयोग में लाया जाता है। इसमें न तो रोगियों को दवा दी जाती है न ही इस चिकित्सा पद्धति का कोई साइड-इफेक्ट है, जो फिजियोथेरेपी को सबसे आकर्षक बनाती है।
डॉक्टर जितेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि गठिया और लकवा जैसी स्थितियों में यह पद्धति विशेष लाभदायक हैं। जीवनशैली में गड़बड़ी और लोगों में बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता के कारण मौजूदा समय में गठिया जैसी समस्याएं काफी आम बात हो गई हैं। ऐसी दिक्कतों को ठीक करने में फिजियोथेरेपी सबसे कारगर चिकित्सा पद्धति मानी जा सकती है। इसके अलावा स्पाइनल इंजरी, सेरेब्रल पाल्सी, फेशियल पाल्सी (चेहरे का लकवा), डिस्पनिया (सांस लेने में परेशानी) जैसी जटिल बीमारियों को भी इससे ठीक किया जा सकता है। कुछ स्थितियों में फिजियोथेरेपिस्ट इलेक्ट्रोथेरेपी मशीनों की सहायता या मैनुअल थेरेपी की मदद से रोगियों का इलाज करते हैं।
कोरोना के दौर में फिजियोथेरेपी की भूमिका कोरोना के इस दौर में कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में भी फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। कोरोना की दूसरी लहर ने संक्रमितों के फेफड़ों को बुरी तरह से प्रभावित किया है, इसका असर लंबे समय तक भी बना रह सकता है। ऐसी स्थिति में फिजियोथेरेपी के माध्यम से फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार करने और इसकी क्षमता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। फेफड़ों के अलावा हृदय के कार्यों को भी मजबूती देने में यह चिकित्सा विधि सहायक मानी जा सकती है।
दवाइयों पर निर्भरता को कम करने की कोशिश
डॉक्टर त्रिपाठी कहते हैं, मौजूदा वक्त में बढ़ती बीमारियों के कारण लोग न चाहते हुए भी दवाइयों पर निर्भर होते जा रहे हैं। दवाइयां रोग के लक्षणों को तो कम कर देती हैं पर इसके कई तरह से दीर्घकालिक साइड-इफेक्ट् भी हो सकते हैं। इस चिंता को दूर करने और लोगों की दवाओं पर निर्भरता और इसके कारण होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए फिजियोथेरेपी एक बेहतर वैकल्पिक उपचार विधि मानी जा रही है। फिजियोथेरेपी के माध्यम से रोगियों के सर्जरी की आवश्यकताओं को कम करते हुए उन्हें स्वाभाविक तौर से भी ठीक करने के प्रयास किए जाते हैं।