यूपी की वो तीन सीटें जहां जीत-हार नहीं बल्कि मार्जिन की लड़ाई

हर्षोदय टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ/ महराजगंज! देश से मोदी सरकार को हटाने के लिए विपक्ष एकजुट हो चुका है। बसपा जैसे कुछ एक दल जरूर अकेले दम पर ताल ठोक रहे हैं लेकिन बाकी सभी विपक्षी दल इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। यही वजह है कि मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को इस बार हर सीट पर कांटे की फाइट देखने को मिल रही है। यूपी में बीजेपी ने क्लीन स्वीप करने का दावा किया है। उधर अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन के 79 सीट जीतने की बात कहकर यूपी में बीजेपी को कड़ी टक्कर दे दी है।
अखिलेश ने कहा कि एक सीट पर लड़ाई है। अखिलेश का वाराणसी लोकसभा सीट पर लड़ाई का इशारा है। इन सबके बीच यूपी की तीन सीटें ऐसी हैं जहां पर सिर्फ मार्जिन की लड़ाई है। इसमें से एक मौजूदा प्रधानमंत्री तो दूसरी पूर्व प्रधानमंत्री की सीट शामिल है।
जीत-हार नहीं सिर्फ मार्जिन की लड़ाई- राजनीतिक विश्लेषक
दरअसल एक ओर राजनीतिक दल अपने अपने दावे कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश की कुछ ऐसी भी सीट शामिल है। जिसमें लड़ाई होने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन मौजूदा हालातों और पिछले चुनावों के आंकड़े देखे तो वहां सिर्फ मार्जिन का खेल है। इसमें वाराणसी, लखनऊ और महराजगंज लोकसभा सीट शामिल है। वाराणसी सीट से नरेंद्र मोदी ने तीसरी बारे नामांकन कर दिया है। उनके खिलाफ कांग्रेस इंडिया गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार अजय राय ताल ठोक रहे हैं। जबकि लखनऊ सीट पर बीजेपी के टिकट पर राजनाथ सिंह और सपा इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी रविदास मेहरोत्रा के बीच मुकाबला होना है।

वहीं महराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री मंत्री पंकज चौधरी का गठबंधन प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी और बसपा के मोहम्मद मौसमे आलम से कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। पंकज चौधरी अब तक 06 बार चुनाव जीत चुके हैं। 2019 में पंकज चौधरी ने सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी कुंवर अखिलेश सिंह को 3 लाख 40 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार पंकज चौधरी बड़े मार्जिन से दूसरी बार हैट्रिक लगा सकते हैं। महराजगंज में पांच विधानसभा सीटें हैं जिसमें में नौतनवां,पनियरा,सिसवा और महराजगंज सदर में भाजपा के विधायक हैं वहीं 2022 के हुए विधानसभा चुनाव में 84,755 वोट पाकर कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी फरेंदा से विधायक हैं। फरेंदा में भाजपा के पूर्व विधायक बजरंग बहादुर सिंह का भी एक बड़ा जनाधार है वे 2022 के विधान सभा चुनाव में 83,668 वोट पाकर मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। उन्हें मिला हुआ यह वोट भी पंकज चौधरी के लिए बरदान साबित होने वाला है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो तीनों ही सीट पर कोई लड़ाई नहीं है। यहां सिर्फ मार्जिन की लड़ाई होनी है।
वाराणसी सीट से पीएम मोदी का दावा मजबूत
अगर वाराणसी लोकसभा की बात करे तो इस सीट पर बीजेपी से नरेंद्र मोदी, कांग्रेस से अजय राय, बसपा से अतहर जमाल लारी समेत कुल 8 कैंडिडेट चुनाव मैदान में है। लेकिन जो भी लड़ाई होनी है वो बीजेपी और कांग्रेस कैंडिडेट के बीच होनी है। पर, इस सीट पर लड़ाई जैसी कोई चीज दिख नहीं रही है। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह का भी कहना है कि वाराणसी और लखनऊ सीट पर कोई लड़ाई नहीं है। वाराणसी सीट पर सातवें चरण यानी एक जून को वोटिंग होनी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार वाराणसी सीट से चुनाव मैदान में हैं। इस सीट में रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी विधानसभा सीट आती है। कांग्रेस कैंडिडेट अजय राय चौथी बार वाराणसी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा है।

राजनाथ समर्थकों ने 5 लाख पार का नारा दिया
वहीं देश के रक्षा मंत्री व बीजेपी कैंडिडेट राजनाथ सिंह लखनऊ सीट से जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटे हैं। सपा ने रविदास मेहरोत्रा और बसपा ने मो. सरवर मलिक को उम्मीदवार बनाया है। लेकिन जानकारों की माने तो कोई भी उम्मीदवार राजनाथ सिंह के कद का नहीं है। क्योंकि रविदास मेहरोत्रा सिर्फ एक विधायक है और सरवर मलिक विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। जबकि राजनाथ सिंह लखनऊ की कई सीट पर विधायक जिता चुके हैं। पार्षद से लेकर मेयर तक बीजेपी के हैं। वैसे भी लखनऊ सीट पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की कर्मभूमि रही है। 1991 से लगातार बीजेपी इस सीट से जीतती आ रही है। 2014 में राजनाथ पहली बार लखनऊ सीट से चुनाव लड़े थे। हर बार जीत का मार्जिन बढ़ता जा रहा है। इस बार राजनाथ सिंह के समर्थकों ने जीत का मार्जिन 5 लाख रखा है।