राजतंत्र जिंदाबाद-जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा समुचा नेपाल

हाम्रो राज हाम्रो देश, प्रांण भंदा प्यारो छ, नारायण हिती खाली गर,खाली गर – खाली गर , हाम्रो राजा आऊंछ, आऊंछ – आऊंछ
मनोज कुमार त्रिपाठी/ उमेश चन्द्र त्रिपाठी
भैरहवा नेपाल/महाराजगंज (हर्षोदय टाइम्स) : 13 फरवरी 1996 को माओवादी युद्ध की औपचारिक शुरुआत से कुछ दिन पहले माओवादियों ने 40 सूत्रीय मांग रखी थी जिसमें नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र शाह और उनके परिवार को मिले विशेष अधिकारों को कम करने से लेकर मंहगाई को काबू करने की मांग शामिल थी।
उसी समय नेपाल में माओवादियों द्वारा पहली बार राजा हटाओ आंदोलन को बड़े पैमाने पर तूल दिया था और माओवादी सफल भी रहे। आखिरकार वर्ष 2008 में राजा ज्ञानेन्द्र को गद्दी छोड़नी पड़ी। वहीं आज ठीक उसके उलट प्रचंड हटाओ राजा लाओ के आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। बीते दो दिनों से नेपाल की राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हाम्रो राजा हाम्रो देश,प्राण भंदा प्यारो छ, नारायण हिती खाली गर,खाली गर – खाली गर,हाम्रो राजा आऊंछ, आऊंछ-आऊंछ और राजतंत्र जिंदाबाद-जिंदाबाद के नारों ने नेपाल की प्रचंड सरकार की नींद हराम कर दी है।
बता दें कि बीते 23 नवंबर से नेपाल की राजधानी काठमांडू में पूर्व माओवादी नेता दुर्गा प्रसाई के नेतृत्व में नेपाल की लाखों जनता सड़कों पर है। यह आंदोलन मुख्य रूप से प्रचंड सरकार को तत्काल हटाने और राजा ज्ञानेन्द्र को वापस लाने को लेकर हो रहा है। आंदोलन कारियों का मानना है कि राजतंत्र के जाने के बाद जितनी भी सरकारें नेपाली सत्ता पर पदारूढ़ रहीं उन्होंने देश को सिर्फ लूटने का काम किया है। देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। देश के युवा रोजगार के पलायन कर रहे हैं। नेता और अधिकारी पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।

नेपाल में व्यापार,कृषि, पर्यटन और उद्योग धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है। बोलने की आजादी छीना जा रहा है। नेता और अधिकारी नेपाल का अरबों खरबों रूपया चोरी कर विदेशी बैंकों में जमा कर रहे हैं। नेपाल की आम जनता गरीबी और भूखमरी की कगार पर है। नेपाल में सब कुछ चौपट हो गया है। मंहगाई चरम पर है। लोग खाने बिना मर रहे हैं। बैंको ने व्याज में बेतहाशा बढ़ोतरी की है। उद्योगी और व्यवसाई कर्ज के जाल में डूब कर आत्महत्या करने को मजबूत है। पूरे देश के उद्योग और कल कारखाने बंद हो चुके हैं। इन्हीं सब समस्याओं को लेकर नेपाल की जनता ऊबाल पर है। आंदोलन को देखते हुए सरकार ने आर्मी को हाई अलर्ट मोड में रखा है।
वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पूर्व माओवादी नेता और व्यवसाई दुर्गा प्रसाई ने कहा है कि प्रचंड को तत्काल त्यागपत्र देकर सत्ता की चाभी राजा ज्ञानेन्द्र को सौंप देना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के नाम पर आज से लेकर पिछली 10 सरकारों ने देश को गर्त में ला दिया है। अब उनके इस जनविरोधी नीतियों को जनता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि नेपाल और नेपाल की तीन करोड़ जनता के हित में राजतंत्र जरूरी है। इसी लिए जनता सड़कों पर उतरी है और राजतंत्र लेकर रहेगी।