लुंबिनी में गुरुवार को संविधान, लोकतंत्र एव सुशासन की चुनौती विषय पर आयोजित हुआ अंतर्क्रिया कार्यक्रम

भ्रष्टाचार की आकंठ में डूबे हैं नेपाल के अधिकारी और नेता – दिनेश त्रिपाठी वरिष्ठ अधिवक्ता नेपाली सुप्रीम कोर्ट
स्थानीय लोगों के हाथ में हो मंदिर का प्रशासन तभी लुंबिनी का विकास संभव – अकरम खान संयोजक लुंबिनी बचाओ महाअभियान समिति
जब तक राज्य और केंद्र में पढ़े लिखे लोग निर्वाचित होकर नहीं जाएंगे तब तक देश में विकास संभव नहीं -उपेन्द्र अधिकारी
मनोज कुमार त्रिपाठी
भैरहवा नेपाल! भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी के होटल जाम्वाला में गुरुवार को संविधान, लोकतंत्र एवं सुशासन विषय को लेकर एक अंतर्क्रिया कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लोगों ने देश के मौजूदा हालात को देखते हुए व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नेपाली सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि नेपाल का संविधान अपने आप में बहुत मजबूत है। संविधान में नागरिकों को व्यापक अधिकार भी दिया गया है। पर राजनीतिक अस्थिरता के कारण देश में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है। इसलिए राजनीतिक पार्टियों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। ताकि आम नागरिकों को आसानी से उनका हक मिल सके।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। देश के 80 लाख युवा नौकरी और रोजगार की तलाश में पलायन कर गए हैं। भ्रष्टाचार और मंहगाई से जनता त्रस्त है। सरकारी कार्यालयों में विना रिश्वत के कोई काम नहीं हो रहा है। देश की 50 बड़ी फैक्ट्रियां बंद चल रही हैं। बड़े-बड़े राष्ट्रीय बैंकों में दलालों की भरमार है।
उन्होंने कहा कि संविधान बनने से पहले देश पर पांच खरब रूपए देश पर कर्ज था लेकिन वर्तमान में कर्ज बढ़कर 15 खरब रूपए हो गया है। उन्होंने कहा कि यहां के नेता और अधिकारी इस तरह से भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुए हैं कि उनके पास पैसा रखने की जगह नहीं है। ये लोग रिश्वत और भ्रष्टाचार से इकट्ठा किया हुआ पैसा विदेशी बैंकों में जमा कर रहे हैं। फटे पुराने कपड़े और चप्पल पहन कर चुनाव जीतने वाला नेता काठमांडू पहुंचते ही मंहगी गाड़ियों में चलने लगते हैं। चंद दिनों में इन नेताओं के पास आभूषण और पैसे का ढेर लग जाता है। आखिर ये सब भ्रष्टाचार के कारण ही तो हो रहा है। यही कारण है कि देश के किसानों और व्यापारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
अंतर्क्रिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लुंबिनी बचाओ महाअभियान समिति के संयोजक अकरम खान ने कहा कि लुंबिनी के विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी होना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन यहां काठमांडू से लोगों को थोपा जा रहा है। यहां की व्यवस्था में अधिक से अधिक पदाधिकारी बाहर के हैं। उन्होंने कहा कि लुंबिनी के महामाया मंदिर का स्वरूप बदला गया जबकि संविधान में अस्पष्ट रूप से उल्लेख है कि नेपाल में पुरानी जितनी भी संस्थाएं हैं उनके स्वरूप को नहीं बदला जा सकता। उन्होंने बताया कि यहां के पुजारी को केंद्र के दबाव में हटाया गया जो यहां 20 वर्षों से कार्यरत थे। जब तक स्थानीय लोगों के हाथ में यह मंदिर का प्रशासन नहीं रहेगा तब तक लुंबिनी का विकास संभव नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि लुंबिनी प्रांत की सभी नगर पालिकाओं का अधिक से अधिक सहयोग मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक ककरहवा बार्डर नहीं खुलेगा तब तक लुंबिनी का विकास संभव नहीं है। ककरहवा बार्डर खुलने से जहां एक तरफ लुंबिनी का विकास होगा वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में भारतीय तथा विदेशी पर्यटकों के आने से यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
वरिष्ठ नागरिक उपेन्द्र अधिकारी ने कहा कि जब तक पढ़े लिखे लोग निर्वाचित होकर राज्य और केंद्र में नहीं जाएंगे तब तक विकास नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब एक ड्राइवर को लाइसेंस बनवाने के लिए तमाम परीक्षा पास करना होता है। तो नेताओं को भी शिक्षित होना जरूरी है। नेपाल एक कृषि प्रधान देश है लेकिन यहां किसानों को कोई सुविधा नहीं मिलती है। अदालतों में भी भ्रष्टाचार कायम है जिसे सुधारने की जरूरत है। बैंकों में दलालों की भरमार है। नेपाल के लगभग सभी बैंकों में दलालों का एक सिंडीकेट है जिनके कहने पर ही आम लोगों, किसानों और व्यापारियों को बैंकों द्वारा लोन दिया जा रहा है। यही दलाल बैंकों से लोन 10 प्रतिशत ब्याज दिलाते हैं पर वसूली 20 प्रतिशत ब्याज लेकर की जा रही है जिससे नेपाली जनता काफी आहत है। अब नेपाली जनता लोन लेने से भी कतारा रही है। नेपाल के बैंक अब बड़े-बड़े उद्योगपतियों, तस्करों और विचौलियों के गिरफ्त में आ गए हैं जिससे इन्होंने ने अपने पैसे लगाए हैं। इसीलिए यहां आम लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
कार्यक्रम का संचालन दिलीप कुमार शुक्ला ने किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के कंचनपुर नगर पालिका के मेयर नवराज ढकाल, शंकर नगर पालिका के मेयर फविंद्र शर्मा, पूर्व मंत्री सी के राउत,राम विकास चौधरी,सुमंगल भंते जी और मोहम्मद शेख सइद खान के अलावा बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।