उत्तर प्रदेशमहराजगंज

पांडवो  ने की थी इस मंदिर की स्थापना, अंग्रेज अफसर की गोली लगने से निकलने लगा था पिंडी से खून की धारा

हर्षोदय टाइम्स : उमेश चन्द्र त्रिपाठी

महराजगंज : महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास का अधिक समय महराजगंज में बिताया था। यहां पर अर्जुन ने अरदौना देवी मंदिर की स्थापना की थी। इसके अलावा सरोवर के किनारे युद्धिष्ठिर ने यक्ष के पश्नों का जवाब दिया था।


बता दें कि महराजगंज के अरदौना में स्थापित लेहड़ा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है | फरेंदा कस्बे से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन आर्द्रवन नाम के सघन जंगल से घिरे और पवह नाले के तट पर स्थित इस मंदिर के पास ही महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास का अधिक समय बिताया था। खुद अर्जुन ने अदरौना( लेहड़ा ) देवी मंदिर की स्थापना की थी। यहीं सरोवर के किनारे युद्धिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों का जवाब देकर अपने भाइयों की प्रांण रक्षा की थी। कहा जाता है कि मंदिर से कुछ दूरी पर रहने वाले सिद्ध योगी बाबा वंशीधर ने अपनी शक्तियों से एक शेर और मगरमच्छ को शाकाहारी बना दिया था। एक अंग्रेज अफसर ने पिंडी पर गोलियां बरसाईं तो खून की धारा निकल पड़ी। इस धार्मिक स्थल का प्राचीन नाम अदरौना देवी थान था, जो अब लेहड़ा देवी मंदिर के नाम से विख्यात है। प्राचीन लोक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में अज्ञातवास के समय अर्जुन ने यहां वनदेवी की आराधना की थी। उससे प्रसन्न होकर वनदेवी मां भगवती दुर्गा अर्जुन को अनेक अमोघ शक्तियां प्रदान की थीं। भगवती के आदेशानुसार अर्जुन ने इस शक्तिपीठ की स्थापना की थी।

वनदेवी ने प्रकट होकर की थी युवती की रक्षा

अदरौना देवी के संदर्भ में प्रसिद्ध एक अन्य जुनश्रुति के अनुसार प्राचीनकाल में पवह नाले को नाव से पार कर रही एक युवती को जब नाविकों ने बुरी नीयत से स्पर्श करना चाहा तो वनदेवी ने प्रकट होकर स्वयं उसकी रक्षा की थी। नाविकों को नाव समेत वहीं जल समाधि दे दी थी।

मंदिर से कुछ ही दूरी पर कई एकड़ में एक प्राचीन तपोस्थली (कुटी) अवस्थित है, जहां अनेक साधु-संतों की समाधियां हैं। उन्हीं साधु- योगियों में एक प्रसिद्ध योगी बाबा वंशीधर का नाम आज भी अत्यंत आदर के साथ लिया जाता है। वह एक सिद्ध योगी के रूप में विख्यात रहे हैं।

बताया जाता है कि बाबा की शक्ति एवं भक्ति से प्रभावित कई वन्य जीव-जंतु भी उनकी आज्ञा के वशीभूत रहते थे। इनमें एक शेर एवं मगरमच्छ आज भी चर्चा के विषय बनते हैं, जिन्हें बाबा वंशीधर ने शाकाहारी जीव बना दिया था।

अंग्रेज अफसर ने पिंडी पर बरसाईं गोलियां तो निकल पड़ी थी खून की धारा

लेहड़ा मंदिर के वयोवृद्ध महंत देवीदत्त पांडेय कहते हैं कि अंग्रेजों के समय में मंदिर से तीन किलोमीटर दूर स्थित लेहड़ा रेलवे स्टेशन अंग्रेज अफसर लेहड़ की छावनी हुआ करता था। एक बार अंग्रेज अफसर घोड़े पर सवार होकर शिकार करते इस जंगल में पहुंचा। यहां माता की पिंडी एक पेड़ के नीचे विद्यमान थी। भक्तों की भीड़ लगी थी और पूजापाठ हो रहा था। अचानक अंग्रेज अफसर ने पिंडी पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इसके बाद पिंडी से खून की धारा निकल पड़ी। यह देख अंग्रेज अफसर कांप गया और वह उलटे पैर अपनी छावनी की ओर भागने लगा। लेकिन मंदिर से एक किलोमीटर दूर जाते-जाते घोड़े सहित उसकी मौत हो गई थी। उस अंग्रेज अफसर की वहां समाधि बनाई गई थी जो आज भी मौजूद है।

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