अयोध्याउत्तर प्रदेशमहराजगंज

जम्मू कश्मीर के एक महंत ने अपने दो शिष्यों के बलिदान के बाद अयोध्या न जाने क्या लिया था प्रण ,राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में आमंत्रण मिलने के बाद तोड़ा 30 साल पुराना प्रण

बाबरी ढांचा गिराए जाने के समय पुलिस की गोली से शहीद हो गए थे दोनों शिष्य

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी और इसके साथ ही जम्मू के महंत रामस्वरूप दास का तीन दशकों वो पुराना प्रण भी पूरा होगा जो उन्होंने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के वक्त लिया था। बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के समय महंत रामस्वरूप दास के दो शिष्य पुलिस फायरिंग में शहीद हो गए थे, जिसके बाद उन्होंने राम मंदिर बनने तक रामलला के दर्शन न करने का प्रण लिया था।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा

जम्मू के अखनूर के समा क्षेत्र में आश्रम के महंत रामस्वरूप दास को जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। 92 साल के महंत रामस्वरूप दास का स्वास्थ्य इन दिनों ठीक नहीं रहता और वह अक्सर बातें और घटनाएं भूल जाते हैं लेकिन पिछले करीब दो दशकों से उनकी सेवा में लगे महंत द्वारका दास को वे सब घटनाएं याद हैं जिन्होंने महंत रामस्वरूप दास को रामलला के दर्शन न करने का प्रण लेने पर मजबूर कर दिया था।

कार सेवा में हुए थे शामिल, गोली लगने से दो शिष्यों को खोया

दरअसल 90 के दशक में महंत रामस्वरूप दास अपने दो शिष्यों राम भगत दास और राम आसरे दास को लेकर कार सेवा में जम्मू से अयोध्या पहुंचे थे। महंत द्वारका दास बताते हैं कि उसी समय सभी कार सेवकों को सरयू नदी के पास ही रोका गया था।
महंत रामस्वरूप जी महाराज जैसे ही अगले दिन सरयू नदी से विवादित ढांचे की तरफ कुछ करने लगे तो वहां पर मौजूद सुरक्षा बलों ने फायरिंग की, जिसमें उनके दोनों शिष्यों ने अपने प्राण गंवा दिए।

महंत को भी लगी थी गोली, जेल भी जाना पड़ा

इस घटना में महंत रामस्वरूप दास को भी गोली लगी और फिर उन्हें अस्पताल भर्ती करवाया गया, जहां से उन्हें सीधे जेल में डाला गया। कुछ महीने जेल में बिताने के बाद जैसे ही महंत रामस्वरूप दास बाहर आए तो उन्होंने अपने शिष्यों के बारे में तहकीकात की और उन्हें पता लगा कि उनके शिष्यों के पार्थिव शरीर सरयू नदी में बहा दिए गए हैं।

घटना से आहत महंत रामस्वरूप दास ने ले लिया था प्रण

इस घटना से आहत महंत रामस्वरूप दास ने उस समय प्रण लिया कि वह तब तक रामलला के दर्शन नहीं करेंगे जब तक कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो जाता। इस प्रण के बाद वह अयोध्या से सीधे जम्मू आए और तब से इंतजार कर रहे हैं कि कब राम मंदिर बने और उनके दोनों शिष्यों को सच्ची श्रद्धांजलि मिले।

पीएम मोदी को कहा धन्यवाद

महंत रामस्वरूप दास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने राम मंदिर बनाकर न केवल करोड़ों राम भक्तों को तोहफा दिया है बल्कि इस संघर्ष में शहीद हुए लोगों को भी सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

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